हनुमान जी की आरती हिंदी में- भारतीय संस्कृति में भगवान हनुमान का विशेष स्थान है। वे शक्ति, भक्ति और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं। हनुमान जी को संकटमोचन, बजरंगबली, अंजनी पुत्र, केसरी नंदन, पवन पुत्र आदि नामों से जाना जाता है। वे भगवान शिव के अवतार और भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त माने जाते हैं। हनुमान जी की उपासना करने से भय, रोग, शत्रु और तमाम जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
बजरंग बली की आरती का महत्व भी अत्यंत विशिष्ट है। ‘आरती’ का अर्थ होता है, दीपक या प्रकाश द्वारा देवता की पूजा करना। जब भक्त भगवान की आरती करता है, तो वह उनकी महिमा का गुणगान करता है और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व समर्पण व्यक्त करता है। हनुमान जी की आरती भी उनके अद्वितीय गुणों, शक्तियों और उनकी भक्ति का बखान करती है।
हनुमान जी का स्वरूप और उनकी महिमा:
हनुमान जी का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य है। वे वानर रूप में अवतरित होकर भगवान श्रीराम की सेवा में जीवन अर्पित करने वाले सबसे महान भक्त माने जाते हैं। उनका शरीर वज्र के समान कठोर और शक्तिशाली है, इसीलिए उन्हें बजरंगबली भी कहा जाता है। हनुमान जी में अपार बल, बुद्धि, विद्या और विनम्रता है।
वाल्मीकि रामायण, तुलसीदास कृत रामचरितमानस, सुंदरकांड आदि में हनुमान जी के अद्भुत कार्यों का विस्तार से वर्णन मिलता है। लंका दहन, संजीवनी बूटी लाना, समुद्र लांघना, अशोक वाटिका में सीता माता से भेंट करना आदि कार्य उनके अद्वितीय पराक्रम और भक्ति को दर्शाते हैं।
आरती का महत्व:
आरती केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह ईश्वर के प्रति अपनी आत्मा को समर्पित करने का एक तरीका है। हनुमान जी की आरती करने से भय, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं। हनुमान जी की आरती से घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
हनुमान जी की आरती मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों हनुमान जी की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है। कई श्रद्धालु हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने के बाद आरती करते हैं।
बजरंग बली की सबसे प्रसिद्ध आरती है – “आरती कीजै हनुमान लला की”, जो लगभग हर मंदिर और घर में गाई जाती है। इस आरती में हनुमान जी के पराक्रम, भक्ति और उनकी महिमा का सुंदर वर्णन किया गया है।
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनि पुत्र महा बलदायी।
संतन के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए।।
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठि पाताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे।।
बाईं भुजा असुरदल मारे।
दाहिनी भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि आरती उतारें।
जय-जय-जय हनुमान उचारें।।
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई।।
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परमपद पावे।।
इस आरती में भगवान हनुमान जी के अद्वितीय पराक्रम और उनके द्वारा किए गए चमत्कारी कार्यों का वर्णन है। वे दुष्टों का नाश करने वाले हैं और श्रीराम के कार्यों में सदैव सहायक रहते हैं। उनके बल से पर्वत भी कांपते हैं और उनके समीप कोई भी रोग, दोष नहीं ठहरता। वे संकटों को हरने वाले, भक्तों का कल्याण करने वाले और राक्षसों का संहार करने वाले देवता हैं।
हनुमान जी की आरती से जुड़े भाव:
हनुमान जी की आरती करते समय भक्त के मन में श्रद्धा, विश्वास और समर्पण की भावना होनी चाहिए। आरती में जो भाव छुपा है, वह यह है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर मनुष्य में भक्ति और धैर्य है, तो वह हर संकट से बाहर निकल सकता है।
बजरंग बली संकटमोचन हैं, जो अपने भक्तों के समस्त दुखों का नाश कर देते हैं। उनके बल, बुद्धि, विद्या और भक्ति के गुणों को आत्मसात करने की प्रेरणा इस आरती से मिलती है।
आरती से होने वाले लाभ:
1. संकटों से मुक्ति – हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। उनकी आरती करने से जीवन के तमाम कष्ट दूर होते हैं।
2. शत्रु भय से रक्षा – हनुमान जी की आरती करने से शत्रु भय और बुरी शक्तियों से रक्षा होती है।
3. स्वास्थ्य में सुधार – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी की उपासना करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और रोग दूर होते हैं।
4. आत्मिक शांति – हनुमान जी की आरती करने से मन को शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
5. परिवार में सुख-शांति – नियमित आरती से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
हनुमान जी की आरती का समय और विधि:
आरती प्रातःकाल या संध्या समय की जाती है। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की विशेष पूजा होती है। आरती करने से पूर्व हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक, अगरबत्ती, चंदन, पुष्प आदि अर्पित किए जाते हैं। उसके बाद हनुमान चालीसा, सुंदरकांड या अन्य पाठ किए जाते हैं। अंत में आरती गाई जाती है और घंटी बजाई जाती है।आरती करते समय कपूर या घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। आरती के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।
कहा जाता है कि जब भगवान राम ने हनुमान जी से कहा कि मैं तुम्हारे ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता, तो हनुमान जी ने विनम्र होकर कहा था कि “हे प्रभु, मेरा जीवन तो केवल आपकी सेवा के लिए है। मुझे आपके चरणों की भक्ति से बड़ा कुछ नहीं चाहिए। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि हनुमान जी में केवल शक्ति नहीं, बल्कि अत्यंत विनम्रता और सेवा भाव भी है। उनकी आरती में इन्हीं भावों का गुणगान किया गया है।
हनुमान जी की आरती एक साधारण भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण साधना है, जो भक्त को संकटों से निकालकर आत्मबल और भक्ति के मार्ग पर अग्रसर करती है।आज के समय में जब जीवन में अनगिनत कठिनाइयाँ और तनाव हैं, हनुमान जी की आरती हमें साहस, धैर्य और समर्पण की प्रेरणा देती है। यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ आरती की जाए तो हनुमान जी अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
जय बजरंगबली! जय हनुमान!