भगवान शिव, जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, त्रिनेत्रधारी और नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में प्रमुख देवताओं में से एक हैं। शिव को सृष्टि के विनाशक और पुनर्सृजनकर्ता के रूप में पूजा जाता है। उनके भक्तों के लिए आरती भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक अंग है। शिव आरती भक्तों के लिए भगवान से जुड़ने और उनकी कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है।

भगवान शिव की आरती का महत्व
भगवान शिव की आरती का महत्व आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में है।
1. आध्यात्मिक शांति: शिव आरती करने से मन को शांति और आनंद की अनुभूति होती है।
2. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: आरती के माध्यम से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
3. भक्ति और ध्यान: आरती भक्त और भगवान के बीच एक सेतु का कार्य करती है।
4. दिव्यता का अनुभव: आरती के दौरान गाए जाने वाले मंत्र और भजन वातावरण को पवित्र और दिव्य बना देते हैं।
भगवान शिव की आरती
ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

Bhagwan Shiv Aarti in English:
Om Jai Shiv Omkara, Swami Jai Shiv Omkara.
Brahma, Vishnu, Sadashiv, Ardhangi Dhara||
Om Jai Shiv Omkara॥
Akshamala Vanmala Mundamaladhari.
Tripurari Kansari Kar Mangal Dhari.
Om Jai Shiv Omkara॥
Shwetambar Pitamber Baghambar Ange.
Sanakadik Garudadik Bhootadik Sange.
Om Jai Shiv Omkara॥
Ekanan ChaturananPanchanan Raje।
Hansanan, GarudasanVrishvahan Saje॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Do Bhuj, Chaar ChaturbhujDashabhuj Ati Sohe।
Trigun Roop NirakhateTribhuvan Jan Mohe॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Akshamala VanamalaMundamala Dhari।
Tripurari KansariKar Mala Dhari॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Shvetambar PitambarBaaghambar Ange।
Sankadik GarunadikBhootadik Sange॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Kar Ke Madhya KamandaluChakra Trishuldhari।
Sukhakari DukhahariJagpalan Kari॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Brahma Vishnu SadashivJanat Aviveka।
Pranavakshara MadhyeYe Tinon Eka॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Lakshmi Va SavitriParvati Sanga।
Parvati Ardhangi,Shivalahari Ganga॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Parvat Sauhen Parvati,Shankar Kailasa।
Bhaang Dhatoor Ka Bhojan,Bhasmi Mein vaasa॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Jataa Mein Ganga Bahat Hai,Gal Mundan Mala।
Shesh Naag Liptavat,Odat Mrigchhala॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Kashi Mein Viraje Vishwanath,Nandi Brahmchari।
Nit Uth Darshan Paavat,Mahima Ati Bhaari॥
Om Jai Shiv Omkara॥
Trigunswami Ji Ki AartiJo Koi Nar Gave।
Kahat Shivanand Swami,Manvanchhit Fal Pave॥
Om Jai Shiv Omkara॥
आरती करने की विधि
1. स्नान और पवित्रता: आरती से पहले शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
2. धूप और दीप जलाएं: शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाकर धूप और पुष्प अर्पित करें।
3. आरती गाएं: आरती गाते समय घंटी बजाएं और पूरे भक्ति भाव से भगवान को याद करें।
4. प्रसाद वितरण: आरती के बाद प्रसाद बांटें और भगवान को धन्यवाद दें।
आरती का समय
भगवान शिव की आरती प्रातःकाल, संध्याकाल और विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि के अवसर पर की जाती है। इस समय भगवान शिव के प्रति समर्पण और उनकी कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है।भगवान शिव की आरती करना एक अत्यंत पवित्र और आनंदमयी अनुभव है। यह न केवल हमारे जीवन में सकारात्मकता लाती है, बल्कि हमें भगवान शिव की अनंत कृपा और आशीर्वाद का अनुभव करने का अवसर भी प्रदान करती है।