“भगवान विष्णु के 24 अवतार: ईश्वरीय अवतरणों की रहस्यमयी कथा”

भगवान विष्णु इस जगत के पालनहार कहे जाते है। वे त्रिमूर्ति ( भगवान ब्रह्मा , भगवान शिव औऱ भगवान विष्णु )मे से एक एक प्रमुख भगवान है। भगवान ब्रह्मा इस सृष्टि को रचते है , भगवान विष्णु इस सृष्टि का पालन करते औऱ वही भगवान शिव जब सब जीव अधर्म के रास्ते पर होते है तब इस सृष्टि का संहार कर देते है।

विष्णु भगवान फोटो hd

लेकिन भगवान विष्णु के इस काम मे कोई अधर्मी आसुरी शक्ति उनके इस कार्य मे विघ्न डालते या अधर्म धर्म से ज्यादा होने लगता है। तब भगवान विष्णु इस धरती पर अवतरित होते है औऱ धर्म की पुनः स्थापना करते है। भगवान विष्णु के आठवे अवतार श्री कृष्ण गीता मे कहते है –
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

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अर्थात् जब जब इस धरती पर अधर्म बढेगा औऱ धर्म की हानि होंगी। तब तब मे इस धरती पर अवतरित होता हु ।साधु पुरषों का उद्धार करने के लिए, अधर्मियों का विनाश करने के लिए औऱ धर्म की स्थापना करने के लिए मे हर युग मे प्रकट होता रहूँगा।
इसी करम मे भगवान विष्णु ने असंख्य अवतार लिए है, किन्तु उनमे भगवान विष्णु के प्रमुख 10 अवतार माने जाते है जिन्हे हम दशावतार कहते है। किन्तु इनसे अलग किसी किसी जगह उनके 22 औऱ 24 अवतार माने जाते है,विष्णु अवतार नाम लिस्ट । जो कुछ इस प्रकार है –

1. संकादि ऋषि : ये भगवान विष्णु के 24 अवतारों मे से प्रथम अवतार मैने जाते है। ये चार ऋषि है जिनका नाम सनक, सनन्दन, सनातन औऱ सनत्कुमार है। ये ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हुए है । इन्ही के श्राप की वज़ह से ही भगवान विष्णु को कई अन्य अवतार भी लेने पड़े थे ।

2. मत्स्य अवतार : ये दशावतार मे से प्रथम अवतार है । इस अवतार मे भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप मे ह्यगीरव नाम के असुर का वध किया था जो वेदो को लेके जल मे छिप गया था। उन्होंने वैश्वत मनु को उन चारो वेदो को दिया औऱ जल प्रलय से उन्हें औऱ जो धर्म के मार्ग पर थे उन्हें बचाया था ।

3. नारद मुनि : ये भगवान विष्णु के अवतार मैने जाते है औऱ इन्हे देवताओं के ऋषि या देवऋषि भी कहते है। ये भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी है । भगवान ब्रह्मा इनके पिता है औऱ संकादिक ऋषि इनके भाई है ।

4. हंस अवतार : भगवान विष्णु ने हंस के रूप मे अवतार लेके संकादिक ऋषियों की जिज्ञासा को दुर किया था।वे लोग भगवान ब्रह्मा के पास तत्त्व ज्ञान या मोक्ष के बारे मे जान ने आये थे, तभी वंहा भगवान विष्णु एक महा हंस के रूप मे प्रकट हुए औऱ उनकी जिज्ञासा दुर की । इस अवतार का वर्णन महाभारत मे मिलता है ।

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5. नर नारायण : इस रूप मे भगवान विष्णु ने दो जुड़वा बालको के रूप मे ब्रह्मा जी के मानस पुत्र धर्म के यंहा जन्म लिया था।एक कथा के अनुसार नर औऱ नारायण बहोत ज्यादा तपस्वी थे औऱ उन्होंने दम्बोधभ नामक राक्षस का वध किया था। ऐसा मना जाता है के द्वापर युग मे नर औऱ नारायण ही श्री कृष्ण औऱ अर्जुन के रूप मे आये थे ।
ये भगवान शिव के असीम भक्त थे औऱ उनकी तपस्या मे लीन रहते थे औऱ इन्होने बद्रीनाथ मे भगवान शिव की तपस्या की थी जिस जगह को बद्रीवन के नाम से जाना जाता है । वंहा नर औऱ नारायण नाम के दो पर्वत भी है ।

6. कपिल मुनि : ये एक प्रसिद्ध महर्षि हुए है जिन्होंने कपिलस्मृति नमक एक धर्मशास्त्र लिखा है औऱ इन्हे विष्णु जी का अवतार भी कहा जाता है ।

7. दत्तात्रेय : इन्हे भगवान विष्णु के अवतार के रूप मे देखा जाता है। ये ऋषि अत्रि औऱ देवी अनुसूया के पुत्र थे ।ऋषि अत्रि सप्त ऋषियों मे से एक थे औऱ देवी अनुसूया अपने सतीत्व के लिए पहचानी जाती थी। इन्हे भगवान शिव,विष्णु औऱ ब्रह्मा का अंश मना जाता है । कहते है इनकी पूजा करने से त्रिदेव की कृपा मिलती है ।

8. यज्ञ : यज्ञ को भगवान विष्णु का अवतार भी मना जाता है औऱ इन्हे यगेश्वर यानि यज्ञ का देवता भी कहा जाता है। इनके पिता का नाम प्रजापति रूचि था औऱ माता का नाम अकुति था। अकुति स्वयंभु मनु की पुत्री थी ।

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9. ऋषभ देव : ये भगवान विष्णु के 24 अवतारों मे से एक माने जाते है औऱ ये जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे ।इन्हे आदिनाथ भी कहा जाता है ।

10. राजा पृथु : ये भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है। इन्हे बिना किसी माता के उत्तपन हुआ माना जाता है। एक कथा के अनुसार वेन नामक एक दुष्ट राजा था जिसे ऋषिओ द्वारा उसका वध कर दिया गया था । उसकी अराजकता के कारण पुरे संसार मे अकाल चाहिए गया था।बिना राजा के प्रजा चल नहीं सकती औऱ इस अकाल का कोई हाल नहीं निकल रहा था तो कहते है के ऋषिओ ने वेंन की झांघ को रगड़ा जिससे राजा पृथु उत्पन्न हुए।
प्रजा ने उनसे विनती की के पृथ्वी देवी से वनस्पति ले आये औऱ प्रजा को अकाल से बचाये , तब उन्होंने पृथ्वी देवी का पीछा किया औऱ उनको घेर लिया जो एक गाय के रूप मे भाग रही थी।पृथ्वी देवी ने राजा से बिनती करते हुए अपनी जान बक्सने को कहा औऱ बदले मे वनस्पति देने को कहा औऱ ऐसा ही हुआ ।

11. धन्वन्तरि : ये समुंदर से निकले हुए 14 रत्नो मे से निकले हुए आखिरी रतन थे जो अमृत कलश अपने हाथ मे लेकर आये थे। धन्वंतरि जी को भगवान विष्णु का अवतार भी कहा जाता है । ये देवताओं के वैध भी थे औऱ इन्हे आयुर्वेद का भगवान या आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है।

12. मोहिनी : भगवान विष्णु ने ये अवतार असुरो से अमृत को बचाने औऱ देवताओ को अमृत प्रदान करने के लिए लिया था। भगवान विष्णु इस अवतार मे एक बहोत सुन्दर स्त्री का रूप लिया था जिसे देखकर सभी असुर मोहित हो गए थे । भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भस्मासुर नाम के राक्षस को मरने के लिए भी लिया था।

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13. महर्षि व्यास : महर्षि व्यास 7 चिरंजीवो मे से एक है ।व्यासजी को सभी पुराणों का रचयता भी कहते है इसलिए उन्हें वेदव्यास भी कहा जाता है। महाभारत भी उन्होंने ही रची है औऱ उनकी भूमिका भी रही है ।

14. श्री हरी गजेंद्र मौकाश दाता : इस कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने कोई रूप या अवतार नहीं लिया था फिर भी किसी किसी जगह इन्हे अवतार कहा जाता है । कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने भक्त गजेंद्र जो एक हाथी थे पिछले जन्म के श्राप के कारण उन्हें हाथी या गज का रूप लेना पड़ा ।एक बार गजेंद्र पानी पिने के लिए सरोवर मे पहुंचा वंहा एक मगरमछ ने उसका पर पकड़ लिया वह अपना पैर उस मगरमछ से नहीं छुड़ा पाया।
पिछले जन्म मे गजेंद्र भगवन विष्णु का बड़ा भक्त था उसे वो ही स्मृति याद आ जाती है औऱ वो भगवान विष्णु को याद करता है औऱ उनकी स्तुति करता है । ये सब सुनकर भगवान विष्णु गरुड़ पर आरुद्ध होकर आते है औऱ उस मगरमछ का मुँह फाड़ कर कर उसे बचाते है।

विष्णु भगवान फोटो hd
कुर्म अवतार

15. कुर्म अवतार : ये अवतार मे दशावतार मे दूसरे अवतार है। इस अवतार मे भगवान विष्णु ने एक कुर्म (कछुए ) का अवतार लिया औऱ मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर रखा औऱ समुंदर मंथन की प्रकरिया हो पायी।

16. हायग्रीव : भगवान विष्णु के इस अवतार मे भगवान विष्णु का सर घोड़े का औऱ शरीर आदमी का था। हायग्रीव एक असुर का भी नाम था लेकिन ये अलग है । कथा के अनुसार मधु कैतभ नाम के दो राक्षस थे दोनों ने भगवान ब्रह्मा को परेशान करने के लिए औऱ सृष्टि की हानि करने के लिए वेदो को लेकर भाग गए। भगवान विष्णु ने हायग्रीव अवतार लेकर उन दोनों राक्षस का वध किया था ।

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विष्णु भगवान फोटो hd
वराह अवतार

17. वराह अवतार : ये दशावतार मे से तीसरे अवतार है इस अवतार मे भगवान विष्णु ने हिरनयाक्ष नाम के राक्षस जो पृथ्वी को लेकर सागर मे जाकर छिप गया, तब संसार की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया जिसमे उनका सर एक वराह का था औऱ शरीर आदमी का। भगवानजी ने हीराण्याक्ष को युद्ध मे हरा दिया औऱ उसका वध कर के पृथ्वी को लेकर बाहर आ गए थे।

नरसिम्हा अवतार,विष्णु भगवान फोटो hd
नरसिम्हा अवतार

18. नरसिंह अवतार : ये भगवान विष्णु के दशवातार मे से चौथा अवतार है। कथा के अनुसार अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने लिए औऱ हिरनयाकश्यप का वध करने के लिए ये अवतार लिया था। इस अवतार मे भगवान विष्णु का सिर एक सिंह (शेर ) का था औऱ बाकी शरीर इंसान का।

वामन भगवान ,विष्णु भगवान फोटो hd
वामन भगवान

19. वामन अवतार : दशावतार के इस पांचवे अवतार मे भगवान विष्णु ने असुर राज बाली को पाताललोक भेजनें के लिए एक बोने ऋषि का रूप बनाया औऱ राजा बाली से तीन पग ज़मीन मांगी। राजा बाली ने ऐसा ही किया औऱ भगवान वामन से संसार मे कंही भी तीन पग रखने के लिए कहा ।भगवान वामन ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया के एक पग मे पूरी पृथ्वी दूसरे पग मे पूरा ब्रह्माण्ड माप दिए। तीसरे पग के लिए राजा बली से जगह मांगी तो बली ने अपना शिश आगे किया औऱ भगवन ने उसके पैर रखते ही पताल भेज दिया। बली के इस आदर भाव को देख के भगवान विष्णु ने राजा बली को साल मे एक बार ऊपर पृथ्वी पर आने का मौका देदिया था।

20. परशुराम अवतार : ये छटे अवतार है दशावतार मे से इनकी माता का नाम देवी रेणुका था औऱ पिता का नाम महर्षि जम्दीगनी था । ये भगवान शिव के परम भक्त थे औऱ इन्होने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रियों से विहीन किया था । भगवान परशुराम भी साथ चिरंजीवियों मे से एक है ।

21. राम अवतार : ये सातवे अवतार है भगवान विष्णु के दशावतार मे से औऱ इनके पिता का नाम राजा दशरथ औऱ माता का नाम देवी कौशल्या था । भगवान राम ने राक्षस राज रावण का वध किया था जो उनकी पत्नी देवी सीता को उठाकर लंका ले गया था ।

22. कृष्ण अवतार : ये भगवन विष्णु के आठवे अवतार है जिनका जन्म द्वापर युग मे देवी देवकी औऱ वासुदेव के यंहा हुआ था लेकिन इनका पालन पोषण माता यशोदा ने किया था। इन्होने अपने मामा कंस का वध किया था जो अपनी प्रजा को अत्यंत कष्ट देता था। भगवान कृष्ण ने महाभारत मे पांडवो का साथ देकर उन्हें विजयी बनाया था क्युकी वो धर्म के पक्ष मे थे औऱ उन्होंने अर्जुन को जीवन का ज्ञान भी दिया था जिसे हम गीता के नाम से जानते है।

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23. बलराम अवतार : किसी किसी जगह इन्हे भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है । ये शेष नाग के रूप थे औऱ श्री कृष्ण के बड़े भाई। ये अपने हाथ मे हाल रखते है औऱ ये बहोत ज़्यदा बलशाली थे ।

23. भगवान बुद्ध : कई जगह भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवा अवतार माना जाता है। ये बौद्ध धर्म के संस्थापक औऱ अपनी विचार धारा से लोगो का हृदय परिवर्तन करने वाले माने जाते है । कई लोग इन्हे अवतार के रूप मे नहीं देखते है । लेकिन ज़्यदातर इन्हे भगवान विष्णु का अवतार ही माना जाता है ।

24 : कल्कि अवतार : ये दशावतार के दसवे औऱ अंतिम अवतार है जिनका जन्म कलियुग का अनत करने के लिए हुआ है। जब कलियुग अपने चरम सीमा पर होगा तब भगवान कल्कि सफ़ेद घोड़े पर सवार होकर कली जो कलियुग का राक्षस है उसका वध करेंगे औऱ धर्म की स्थापना कर के सतयुग का आरम्भ करेंगे।

 

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