भगवान विष्णु के कृष्ण, राम, वराह भगवान और नरसिम्हा अवतारों का रहस्यमयी संबंध

भगवान विष्णु त्रिमूर्ति के एक प्रमुख देवता है जिन्हे हम सृष्टि के पालनहार के रूप मे भी जानते है । उन्होंने इस सृष्टि के उद्धार के कई अवतार लिए है जिनमे से प्रमुख अवतार 10 है जिन्हे हम दशावतार कहते है। पर क्या जानते है के उन्ही मे से भगवान विष्णु के चार अवतार – वराह भगवान, भगवान नरसिम्हा, भगवान राम औऱ भगवान कृष्ण का अवतरण सन्कादि ऋषियों के श्राप क

वराह भगवान,भगवान नरसिंह,भगवान राम,भगवान कृष्ण

कथा के अनुसार एक समय की बात है भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र सनक, सनन्दन,सनातन औऱ सनत्त्कुमार भगवान विष्णु के दर्शन के लिए वैकुंठ पुहंचे। लेकिन वंहा द्वार पर खड़े भगवान विष्णु के द्वारपाल जय औऱ विजय ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। संकादिक भ्राताओ ने उन्हें अंदर जाने का आग्रह किया किन्तु जय-विजय नहीं माने औऱ अहंकार मे आकर उन ब्राह्मणों का अनादार किया, तो उन चार ब्राह्मणों ने जय औऱ विजय को श्राप दिया के जाओ तुम अगले तीन जन्म तक राक्षस के रूप मे जन्म लो। ऋषियों के श्राप को सुनकर जय औऱ विजय अत्यंत दुखी हुए औऱ उनसे क्षमा मांगी, इस पर संकादिक भ्राताओ ने उन्हें ये कहा के अपना श्राप तो हम वापस नहीं ले सकते किन्तु हर जन्म मे तुम्हे मोक्ष भगवान श्री हरी विष्णु के हाथों ही मिलेगा। फिर ऐसा ही हुआ ।

और पढ़े : भगवान पशुपति और पशुपतिनाथ मंदिर: करुणा, दया और आध्यात्मिकता का प्रतीक

वराह भगवान
वराह भगवान

 

प्रथम बार वे दोनों हरिण्याक्ष औऱ हिरनयकश्यप के रूप मे जन्म लिया। उन दोनों के पिता ऋषि कश्यप औऱ माता देवी दिति थी। हीरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर उसके जीवन का अनत किया क्युकी हीराण्याक्ष ने धरती माता को ब्रह्माण्ड के महासागर के निचे छुपा लिया था , अपने भाई की मृत्यु का ही बदला लेने के लिए ही हिरनयकश्यप ने भगवान ब्रह्मा की तपस्या कर वरदान प्रापत किया औऱ तीनो लोको पर विजय प्राप्त की औऱ उसका अनत भगवान विष्णु ने अपने नरसिम्हा अवतार मे किया।

और पढ़े : गणेश भगवान की आरती और उसका महत्व

श्री राम फोटो hd

दूसरे जन्म मे वे फिर से दोनों भाई के रूप मे ऋषि विश्रावा औऱ केकसी के यंहा जन्मे। इस जन्म मे उनका नाम रावण औऱ कुम्भकरण हुआ। इस जन्म मे रावण औऱ कुम्भकरण ने तीनो लोको मे हाहाकार मचाया औऱ उनका वध भगवान विष्णु के सातवे अवतार भगवान श्री राम ने किया औऱ उनके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया।

और पढ़े : तुलसी(वृंदा)और जलंधर की कथा: देवी तुलसी की उत्पत्ति

कृष्ण भगवान का फोटो
भगवान कृष्ण

तीसरे जन्म मे जय औऱ विजय ने शिशुपाल औऱ दंतवकर के रूप मे जन्म लिया। शिशुपाल के पिता का नाम दमघोष औऱ माता का नाम श्रुतशुभा पालक था। दंत्वकर के पिता का नाम वृद्धवर्मा औऱ माता का नाम श्रुतिदेवी था। इन दोनों का वध भगवान श्री कृष्ण ने किया। हालांकि इस अवतार मे भगवान श्री कृष्ण सिर्फ इन्ही का उद्धार करने नहीं आये थे ।

और पढ़े : शिव चालीसा: महादेव की स्तुति और महिमा

भगवान कृष्ण सबसे जरुरी रूप से अपने मामा कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने औऱ महाभारत जैसे महायुद्ध मे पांडवो का साथ देकर धर्म की स्थापना करने के लिए अवतरित हुए थे ।इस प्रकार ये सभी अवतार संकादिक ऋषियों के श्राप औऱ द्वारपाल जय औऱ विजय के कारण एक दूसरे से जुड़े हुए है।

Please follow and like us:
Pin Share

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *